2014 में पहली बार भारतीय रेलवे ने एक मोबाइल ऐप्लिकेशन लॉन्च किया, जिसके जरिए आप ट्रेनों की जानकारी हासिल कर सकते हैं।
दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल चिनाब नदी पर बन रहा है। बनने के बाद यह ऊंचाई के मामले में पेरिस के एफिल टावर को भी पीछे छोड़ देगा।
भारत में छोटे-बड़े कुल मिलाकर 7,500 रेलवे स्टेशन हैं।
भारतीय रेल पूरी तरह से सरकार के अधीन है, और यह दुनिया की सबसे सस्ती रेल सेवाओं में से एक है।
भारत में सबसे लंबे नाम वाले रेलवे स्टेशन का नाम वेंकटनरसिंहराजुवारिपटा (Venkatanarasimharajuvaripeta) है। वहीं इब (Ib) सबसे छोटे नाम वाला रेलवे स्टेशन है।
उत्तर प्रदेश में लखनऊ का चारबाग स्टेशन देश के व्यस्तम स्टेशनों में से एक है। साथ ही यह स्टेशन अपनी खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है।
दुनिया का सबसे लंबा प्लैटफॉर्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में है। इसकी कुल लंबाई 1366.33 मीटर है।
नई दिल्ली के मेन स्टेशन के नाम दुनिया के सबसे बड़े रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम का रेकॉर्ड है। यह उपलब्धि गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में भी दर्ज है।
देश की सबसे लेट लतीफ ट्रेन गुवाहाटी-त्रिवेंद्रम एक्सप्रेस है। यह ट्रेन औसतन 10-12 घंटे लेट होती है।
हावड़ा-अमृतसर एक्सप्रेस सबसे ज्यादा जगहों पर रुकने वाली एक्सप्रेस ट्रेन है। इसके 115 स्टॉपेज हैं। क्यों, आ गया न चक्कर!
मेतुपलयम ऊटी नीलगिरी पैसेंजर ट्रेन भारत में चलने वाली सबसे धीमी ट्रेन है। यह लगभग 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। कहीं-कहीं पर तो इसकी स्पीड 10 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो जाती है। आप चाहें तो आराम से इसकी खिड़की से कूदकर कुछ देर इधर-उधर टहलकर, वापस इसमें आकर बैठ सकते हैं।
भारतीय रेल से रोज करीब 2.5 करोड़ लोग यात्रा करते हैं। यह संख्या ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या के लगभग बराबर है।
भारतीय रेलवे में लगभग 16 लाख लोग काम करते हैं। यह दुनिया का 9वां सबसे बड़ा एंप्लॉयर है। यह आंकड़ा कई देशों की आबादी से भी ज्यादा है।
भारतीय रेलें दिन भर में जितनी दूरी तय करती हैं, वह धरती से चांद के बीच की दूरी का लगभग साढ़े तीन गुना है।
भारतीय रेल दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क (अमेरिका, चीन और रूस के बाद) है। भारतीय रेल ट्रैक की कुल लंबाई 65,000 किलोमीटर है। वहीं अगर यार्ड, साइडिंग्स वगैरह सब जोड़ दिए जाएं तो यही लंबाई लगभग 115,000 किलोमीटर हो जाती है।
भारतीय रेल का मैस्कॉट भोलू नाम का हाथी है। और यह क्यूट-सा हाथी भारतीय रेल में बतौर गॉर्ड तैनात है। यह सच है, यकीन नहीं आता तो भोलू की ड्रेस देखें...;)
भारतीय रेलवे ने कम्प्यूटराइज्ड रिजर्वेशन की सेवा की शुरुआत नई दिल्ली में 1986 को की थी।
आपको जानकर हैरानी होगी कि करीब 50 साल तक भारतीय ट्रेनों में टॉइलट नहीं होता था। वह तो भला हो ओखिल चंद्र सेन नामक एक यात्री का, जिन्होंने 1909 में पैसेंजर ट्रेन से यात्रा के अपने बुरे अनुभव के बारे में साहिबगंज रेल डिविजन के ऑफिस को एक खत लिखकर लेकर बताया। इस करारे पत्र के बाद ब्रिटिश हुकूमत को यह खयाल आया कि ट्रेनों में टॉइलट की बहुत आवश्यकता है। यह पत्र आज भी भारतीय रेल संग्रहालय में मौजूद है।
भारत में पहली रेल की पटरी दो भारतीयों ने ही बिछवाई थी। इनके नाम थे जगन्नाथ शंकरसेठ और जमशेदजी जीजीभाई। जीआईपी (ग्रेट इंडियन पेनिन्सुला) रेलवेज के डायरेक्टर के तौर पर जगन्नाथ सेठ ने बॉम्बे से ठाणे के बीच चली ट्रेन से 45 मिनट का सफर भी तय किया था। (इनसेट में जगन्नाथ शंकरसेठ)
भारत में पहली रेल बॉम्बे (अब मुंबई) से ठाणे (थाने) के बीच 16 अप्रैल 1853 को चली थी। इस 14 बोगी की ट्रेन को 3 इंजन खींच रहे थे, जिनका नाम था- सुल्तान, सिंध और साहिब।
रेलवे नागपुर जंक्शन से अजनी स्टेशन के बीच ट्रेन चलाती है जो कि सबसे कम दूरी तय करने वाली भारतीय ट्रेन है। महाराष्ट्र के नागपुर जंक्शन और अजनी रेलवे स्टेशन के बीच की दूरी लगभग 3 किलोमीटर (2.8 किमी) है। रेलवे इस ट्रेन को कर्मचारियों को अजनी वर्कशॉप तक पहुंचाने के लिए चलाती है।
भारतीय रेलवे का इतिहास जितना पुराना है, उतने ही रोचक फैक्ट्स इससे जुड़े हैं। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में रेलवे रूट पर स्थित 2 रेलवे स्टेशन एक ही जगह पर हैं। श्रीरामपुर और बेलापुर रेलवे स्टेशन रेलवे ट्रैक के विपरीत दिशा में एक ही जगह पर स्थित हैं।
देशभर में रेलवे के जितने जंक्शन हैं उसमें मथुरा रेलवे जंक्शन से 7 रेलवे रूट डाइवर्ट होता है। जिसमें ब्रॉड ग्रेज (बीजी) लाइन वाली रूट में मथुरा-आगरा कैंट, भरतपुर-अलवर और मथुरा-दिल्ली है। मीटर गेज (एमजी) लाइन वाला रेलवे रूट मथुरा से डाइवर्ट होता है जिसमें अछनेरा, वृंदावन, हाथरस और कासगंज प्रमुख स्टेशन हैं। इसके अलावा, रेलवे के कई जंक्शन हैं जहां से कई रूट डाइवर्ट होते हैं। इसमें छह रूट वाला जंक्शन भटिंडा, 5 रूट वाला जंक्शन लखनऊ, गुंतकाल, कटनी, वाराणसी, कानपुर सेंट्रल, विल्लापुरम, दबोही और नागपुर आदि हैं।
भारतीय रेल में सबसे पावरफुल रेल इंजन में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव WAG-9 शामिल है, जो गुड्स ट्रेन (मालगाड़ी) में इस्तेमाल होता है। रेलवे के 6350 हॉर्सपावर क्षमता वाली इस इंजन का मोडिफाई वर्जन WAP-7 है। यह इंजन 24 कोच की पैसेंजर ट्रेन को 140 से 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से खींच सकता है।
साल 1909 में भारतीय रेलवे ने ट्रेनों में टॉयलेट की शुरुआत की। दरअसल, ट्रेन में सफर के दौरान एक यात्री ओखिल चंद्र सेन ने रेलवे (साहिबगंज रेलवे डिविजन ऑफिस) को इस समस्या से अवगत कराया। इसके बाद से ही ब्रिटिश शासन ने ट्रेनों में टॉयलेट की शुरुआत की।
भारत में पहले रेल बजट और आम बजट एक साथ पेश किया जाता था, जिसमें रेल बजट की हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी थी। रेल बजट को आम बजट से अलग करने का काम ईस्ट इंडिया रेलवे कमेटी के चेयरमैन सर विलियम एम एक्वर्थ ने 1924 में किया था।
देश में सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन नई दिल्ली-भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस है। यह ट्रेन नई दिल्ली से भोपाल के बीच 704 किलोमीटर की दूरी 7 घंटे 50 मिनट में तय करती है।
मेटूपलायम ऊटी नीलगिरी पैसेंजर ट्रेन भारत में सबसे धीमी गति (स्लो स्पीड) से चलने वाली ट्रेन है। यह ट्रेन 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पटरी पर दौड़ती है। चूंकि, भारतीय रेल की यह ट्रेन पहाड़ी क्षेत्र में चलती है इसलिए इस ट्रेन की गति (स्पीड) इतनी तय की गई है। इसके अलावा, इस ट्रेन की तरह ही रेलवे की प्रतापनगर-जंबूसर पैसेंजर ट्रेन है, जिसकी रफ्तार महज 12 किमी प्रति घंटा है। यह ट्रेन 44 किलोमीटर की दूरी तय करने में 4 घंटे का समय लेती है।
ममता बनर्जी देश की पहली महिला रेलमंत्री बनीं, जिनके नाम दो बार अलग-अलग सरकार में रेल बजट पेश करने का रिकॉर्ड दर्ज है। ममता बनर्जी पहली बार वाजपेयी सरकार में रेलमंत्री बनी थीं। 2002 में बनर्जी ने अपना पहला रेल बजट पेश किया था। ममता बनर्जी 2009 में मनमोहन सिंह की यूपीए-2 सरकार में दूसरी बार रेलमंत्री बनीं। ममता बनर्जी अभी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं।
अगर आपने एसी कोच के लिए सीट रिजर्व कराई है लेकिन आपके कोच में एसी खराब है तो ऐसी स्थिति में आपको अतिरिक्त किराया वापस मिल जाएगा। हालांकि इसके लिए आपको किराया क्लेम करना पड़ेगा, साथ ही लोअर कोच में यात्रा भी करनी होगी।
अगर आपके पास कनफर्म टिकट हैं और किसी कारण से यात्रा नहीं कर पाते हैं, तो आप अपने टिकट को परिवार के सदस्यों को ट्रांसफर कर सकते हैं। इसमें माता-पिता, भाई-बहन, बेटा-बेटी और पति-पत्नी शामिल हैं। टिकट ट्रांसफर के लिए आपको डिपार्चर से 24 घंटे पहले रिक्वेस्ट करनी होगी।
गार्ड, ट्रेन सुपरीटेंडेंट और पेन्ट्री कार मैनेजर के पास फर्स्ट एड की सुविधा होती है। अगर इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत है तो आप अपने TTE से बात कर सकते हैं । जो फर्स्ट एड की सुविधा अरेंज करा सकता है। इसके अलावा गंभीर स्थिति में अगले स्टेशन पर डॉक्टर को उपलब्ध करा सकता है।
रिटायरिंग रुम के अलावा रेल यात्री निवास होते है जहां रेल यात्री अपनी वैध टिकट दिखाकर बुकिंग करवा सकते हैं। रेल यात्री निवास में सेल्फ सर्विस रेस्टोरेंट भी होते हैं। फिलहाल यह सेवा केवल दिल्ली और हावड़ा रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध है। यहां आप इस लिंक http://www.gingerhotels.com/
25 फरवरी को रेल बजट पेश होने जा रहा है। इस मौके पर हम आपको भारतीय रेलवे से जुड़े कुछ रोचक फैक्ट बता रहे हैं। इसी क्रम में आज हम बात कर रहे हैं गुजरात की। मसलन, सबसे धीमी रफ्तार से चलने वाली दूसरी ट्रेन, पाकिस्तान की सरहद से लगा गुजरात का आखिरी स्टेशन और पीएम के गांव में अब भी चलती है तीन बोगी की ट्रेन।
भारतीय रेलवे कई मामलों में अनोखा है। देश में एक ऐसा स्टेशन भी है, जो दो राज्यों में स्थित है। स्टेशन का एक हिस्सा महाराष्ट्र तो दूसरा गुजरात में मौजूद है। ये स्टेशन महाराष्ट्र के नवापुर में है
- आमतौर पर यहां रुकने वाली ट्रेनें भी दो-दो राज्यों की सीमा में खड़ी होती हैं।
- इस रेलवे स्टेशन से गुजरने वाले यात्रियों के लिए ये काफी इंटरेस्टिंग होता है।
- यह रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र के नंदुरबर जिले में गुजरात बॉर्डर पर स्थित है।
- स्टेशन सूरत और धुले से 100 किलोमीटर की दूरी पर है।
- रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म पर ही दोनों राज्यों की सीमा के बोर्ड भी लगे हैं।
- यहां उतरने वाले यात्रियों का एक पांव महाराष्ट्र में तो दूसरा गुजरात में होता है।
दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल चिनाब नदी पर बन रहा है। बनने के बाद यह ऊंचाई के मामले में पेरिस के एफिल टावर को भी पीछे छोड़ देगा।
भारत में छोटे-बड़े कुल मिलाकर 7,500 रेलवे स्टेशन हैं।
भारतीय रेल पूरी तरह से सरकार के अधीन है, और यह दुनिया की सबसे सस्ती रेल सेवाओं में से एक है।
भारत में सबसे लंबे नाम वाले रेलवे स्टेशन का नाम वेंकटनरसिंहराजुवारिपटा (Venkatanarasimharajuvaripeta) है। वहीं इब (Ib) सबसे छोटे नाम वाला रेलवे स्टेशन है।
उत्तर प्रदेश में लखनऊ का चारबाग स्टेशन देश के व्यस्तम स्टेशनों में से एक है। साथ ही यह स्टेशन अपनी खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है।
दुनिया का सबसे लंबा प्लैटफॉर्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में है। इसकी कुल लंबाई 1366.33 मीटर है।
नई दिल्ली के मेन स्टेशन के नाम दुनिया के सबसे बड़े रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम का रेकॉर्ड है। यह उपलब्धि गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में भी दर्ज है।
देश की सबसे लेट लतीफ ट्रेन गुवाहाटी-त्रिवेंद्रम एक्सप्रेस है। यह ट्रेन औसतन 10-12 घंटे लेट होती है।
हावड़ा-अमृतसर एक्सप्रेस सबसे ज्यादा जगहों पर रुकने वाली एक्सप्रेस ट्रेन है। इसके 115 स्टॉपेज हैं। क्यों, आ गया न चक्कर!
मेतुपलयम ऊटी नीलगिरी पैसेंजर ट्रेन भारत में चलने वाली सबसे धीमी ट्रेन है। यह लगभग 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। कहीं-कहीं पर तो इसकी स्पीड 10 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो जाती है। आप चाहें तो आराम से इसकी खिड़की से कूदकर कुछ देर इधर-उधर टहलकर, वापस इसमें आकर बैठ सकते हैं।
भारतीय रेल से रोज करीब 2.5 करोड़ लोग यात्रा करते हैं। यह संख्या ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या के लगभग बराबर है।
भारतीय रेलवे में लगभग 16 लाख लोग काम करते हैं। यह दुनिया का 9वां सबसे बड़ा एंप्लॉयर है। यह आंकड़ा कई देशों की आबादी से भी ज्यादा है।
भारतीय रेलें दिन भर में जितनी दूरी तय करती हैं, वह धरती से चांद के बीच की दूरी का लगभग साढ़े तीन गुना है।
भारतीय रेल दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क (अमेरिका, चीन और रूस के बाद) है। भारतीय रेल ट्रैक की कुल लंबाई 65,000 किलोमीटर है। वहीं अगर यार्ड, साइडिंग्स वगैरह सब जोड़ दिए जाएं तो यही लंबाई लगभग 115,000 किलोमीटर हो जाती है।
भारतीय रेल का मैस्कॉट भोलू नाम का हाथी है। और यह क्यूट-सा हाथी भारतीय रेल में बतौर गॉर्ड तैनात है। यह सच है, यकीन नहीं आता तो भोलू की ड्रेस देखें...;)
भारतीय रेलवे ने कम्प्यूटराइज्ड रिजर्वेशन की सेवा की शुरुआत नई दिल्ली में 1986 को की थी।
आपको जानकर हैरानी होगी कि करीब 50 साल तक भारतीय ट्रेनों में टॉइलट नहीं होता था। वह तो भला हो ओखिल चंद्र सेन नामक एक यात्री का, जिन्होंने 1909 में पैसेंजर ट्रेन से यात्रा के अपने बुरे अनुभव के बारे में साहिबगंज रेल डिविजन के ऑफिस को एक खत लिखकर लेकर बताया। इस करारे पत्र के बाद ब्रिटिश हुकूमत को यह खयाल आया कि ट्रेनों में टॉइलट की बहुत आवश्यकता है। यह पत्र आज भी भारतीय रेल संग्रहालय में मौजूद है।
भारत में पहली रेल की पटरी दो भारतीयों ने ही बिछवाई थी। इनके नाम थे जगन्नाथ शंकरसेठ और जमशेदजी जीजीभाई। जीआईपी (ग्रेट इंडियन पेनिन्सुला) रेलवेज के डायरेक्टर के तौर पर जगन्नाथ सेठ ने बॉम्बे से ठाणे के बीच चली ट्रेन से 45 मिनट का सफर भी तय किया था। (इनसेट में जगन्नाथ शंकरसेठ)
भारत में पहली रेल बॉम्बे (अब मुंबई) से ठाणे (थाने) के बीच 16 अप्रैल 1853 को चली थी। इस 14 बोगी की ट्रेन को 3 इंजन खींच रहे थे, जिनका नाम था- सुल्तान, सिंध और साहिब।
रेलवे नागपुर जंक्शन से अजनी स्टेशन के बीच ट्रेन चलाती है जो कि सबसे कम दूरी तय करने वाली भारतीय ट्रेन है। महाराष्ट्र के नागपुर जंक्शन और अजनी रेलवे स्टेशन के बीच की दूरी लगभग 3 किलोमीटर (2.8 किमी) है। रेलवे इस ट्रेन को कर्मचारियों को अजनी वर्कशॉप तक पहुंचाने के लिए चलाती है।
भारतीय रेलवे का इतिहास जितना पुराना है, उतने ही रोचक फैक्ट्स इससे जुड़े हैं। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में रेलवे रूट पर स्थित 2 रेलवे स्टेशन एक ही जगह पर हैं। श्रीरामपुर और बेलापुर रेलवे स्टेशन रेलवे ट्रैक के विपरीत दिशा में एक ही जगह पर स्थित हैं।
देशभर में रेलवे के जितने जंक्शन हैं उसमें मथुरा रेलवे जंक्शन से 7 रेलवे रूट डाइवर्ट होता है। जिसमें ब्रॉड ग्रेज (बीजी) लाइन वाली रूट में मथुरा-आगरा कैंट, भरतपुर-अलवर और मथुरा-दिल्ली है। मीटर गेज (एमजी) लाइन वाला रेलवे रूट मथुरा से डाइवर्ट होता है जिसमें अछनेरा, वृंदावन, हाथरस और कासगंज प्रमुख स्टेशन हैं। इसके अलावा, रेलवे के कई जंक्शन हैं जहां से कई रूट डाइवर्ट होते हैं। इसमें छह रूट वाला जंक्शन भटिंडा, 5 रूट वाला जंक्शन लखनऊ, गुंतकाल, कटनी, वाराणसी, कानपुर सेंट्रल, विल्लापुरम, दबोही और नागपुर आदि हैं।
भारतीय रेल में सबसे पावरफुल रेल इंजन में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव WAG-9 शामिल है, जो गुड्स ट्रेन (मालगाड़ी) में इस्तेमाल होता है। रेलवे के 6350 हॉर्सपावर क्षमता वाली इस इंजन का मोडिफाई वर्जन WAP-7 है। यह इंजन 24 कोच की पैसेंजर ट्रेन को 140 से 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से खींच सकता है।
साल 1909 में भारतीय रेलवे ने ट्रेनों में टॉयलेट की शुरुआत की। दरअसल, ट्रेन में सफर के दौरान एक यात्री ओखिल चंद्र सेन ने रेलवे (साहिबगंज रेलवे डिविजन ऑफिस) को इस समस्या से अवगत कराया। इसके बाद से ही ब्रिटिश शासन ने ट्रेनों में टॉयलेट की शुरुआत की।
भारत में पहले रेल बजट और आम बजट एक साथ पेश किया जाता था, जिसमें रेल बजट की हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी थी। रेल बजट को आम बजट से अलग करने का काम ईस्ट इंडिया रेलवे कमेटी के चेयरमैन सर विलियम एम एक्वर्थ ने 1924 में किया था।
देश में सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन नई दिल्ली-भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस है। यह ट्रेन नई दिल्ली से भोपाल के बीच 704 किलोमीटर की दूरी 7 घंटे 50 मिनट में तय करती है।
मेटूपलायम ऊटी नीलगिरी पैसेंजर ट्रेन भारत में सबसे धीमी गति (स्लो स्पीड) से चलने वाली ट्रेन है। यह ट्रेन 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पटरी पर दौड़ती है। चूंकि, भारतीय रेल की यह ट्रेन पहाड़ी क्षेत्र में चलती है इसलिए इस ट्रेन की गति (स्पीड) इतनी तय की गई है। इसके अलावा, इस ट्रेन की तरह ही रेलवे की प्रतापनगर-जंबूसर पैसेंजर ट्रेन है, जिसकी रफ्तार महज 12 किमी प्रति घंटा है। यह ट्रेन 44 किलोमीटर की दूरी तय करने में 4 घंटे का समय लेती है।
ममता बनर्जी देश की पहली महिला रेलमंत्री बनीं, जिनके नाम दो बार अलग-अलग सरकार में रेल बजट पेश करने का रिकॉर्ड दर्ज है। ममता बनर्जी पहली बार वाजपेयी सरकार में रेलमंत्री बनी थीं। 2002 में बनर्जी ने अपना पहला रेल बजट पेश किया था। ममता बनर्जी 2009 में मनमोहन सिंह की यूपीए-2 सरकार में दूसरी बार रेलमंत्री बनीं। ममता बनर्जी अभी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं।
अगर आपने एसी कोच के लिए सीट रिजर्व कराई है लेकिन आपके कोच में एसी खराब है तो ऐसी स्थिति में आपको अतिरिक्त किराया वापस मिल जाएगा। हालांकि इसके लिए आपको किराया क्लेम करना पड़ेगा, साथ ही लोअर कोच में यात्रा भी करनी होगी।
अगर आपके पास कनफर्म टिकट हैं और किसी कारण से यात्रा नहीं कर पाते हैं, तो आप अपने टिकट को परिवार के सदस्यों को ट्रांसफर कर सकते हैं। इसमें माता-पिता, भाई-बहन, बेटा-बेटी और पति-पत्नी शामिल हैं। टिकट ट्रांसफर के लिए आपको डिपार्चर से 24 घंटे पहले रिक्वेस्ट करनी होगी।
गार्ड, ट्रेन सुपरीटेंडेंट और पेन्ट्री कार मैनेजर के पास फर्स्ट एड की सुविधा होती है। अगर इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत है तो आप अपने TTE से बात कर सकते हैं । जो फर्स्ट एड की सुविधा अरेंज करा सकता है। इसके अलावा गंभीर स्थिति में अगले स्टेशन पर डॉक्टर को उपलब्ध करा सकता है।
रिटायरिंग रुम के अलावा रेल यात्री निवास होते है जहां रेल यात्री अपनी वैध टिकट दिखाकर बुकिंग करवा सकते हैं। रेल यात्री निवास में सेल्फ सर्विस रेस्टोरेंट भी होते हैं। फिलहाल यह सेवा केवल दिल्ली और हावड़ा रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध है। यहां आप इस लिंक http://www.gingerhotels.com/
25 फरवरी को रेल बजट पेश होने जा रहा है। इस मौके पर हम आपको भारतीय रेलवे से जुड़े कुछ रोचक फैक्ट बता रहे हैं। इसी क्रम में आज हम बात कर रहे हैं गुजरात की। मसलन, सबसे धीमी रफ्तार से चलने वाली दूसरी ट्रेन, पाकिस्तान की सरहद से लगा गुजरात का आखिरी स्टेशन और पीएम के गांव में अब भी चलती है तीन बोगी की ट्रेन।
भारतीय रेलवे कई मामलों में अनोखा है। देश में एक ऐसा स्टेशन भी है, जो दो राज्यों में स्थित है। स्टेशन का एक हिस्सा महाराष्ट्र तो दूसरा गुजरात में मौजूद है। ये स्टेशन महाराष्ट्र के नवापुर में है
- आमतौर पर यहां रुकने वाली ट्रेनें भी दो-दो राज्यों की सीमा में खड़ी होती हैं।
- इस रेलवे स्टेशन से गुजरने वाले यात्रियों के लिए ये काफी इंटरेस्टिंग होता है।
- यह रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र के नंदुरबर जिले में गुजरात बॉर्डर पर स्थित है।
- स्टेशन सूरत और धुले से 100 किलोमीटर की दूरी पर है।
- रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म पर ही दोनों राज्यों की सीमा के बोर्ड भी लगे हैं।
- यहां उतरने वाले यात्रियों का एक पांव महाराष्ट्र में तो दूसरा गुजरात में होता है।
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