कंटीले पेड़-पौधों में सेहत का ख़ज़ाना ( बबूल )
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प्रकृति ने हर एक पेड़ पौधे को खास गुणों से सजाया है। विज्ञान के विकसित होने के बावजूद भी अनेक ऐसे पेड़ पौधे हमारे इर्द-गिर्द हैं जिनके औषधीय गुणों की जानकारी किसी को नहीं। पेड़-पौधों के हर अंगों के अपने खास गुण होते हैं, जिनमें मानव विकारों को दूर करने की बेहद क्षमता होती है। इस सप्ताह प्रतिदिन हम कांटों भरे पेड़-पौधों के औषधीय गुणों के बारे में श्रृंखलाबद्ध तरीके बताएँगे ।
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प्रकृति ने हर एक पेड़ पौधे को खास गुणों से सजाया है। विज्ञान के विकसित होने के बावजूद भी अनेक ऐसे पेड़ पौधे हमारे इर्द-गिर्द हैं जिनके औषधीय गुणों की जानकारी किसी को नहीं। पेड़-पौधों के हर अंगों के अपने खास गुण होते हैं, जिनमें मानव विकारों को दूर करने की बेहद क्षमता होती है। इस सप्ताह प्रतिदिन हम कांटों भरे पेड़-पौधों के औषधीय गुणों के बारे में श्रृंखलाबद्ध तरीके बताएँगे ।
बबूल
:- बबूल लंबे, नुकीले कांटों से सजी बबूल की झाडिय़ां मध्य और पश्चिम
भारत में भरपूर देखी जा सकती है। बबूल बेहद औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
डाँग गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार सिघाड़़े के आटे में बबूल
की छाल पर बने गोंद, देशी घी और मिश्री मिलाकर लगभग 30 ग्राम प्रतिदिन दूध
के साथ लिया जाए तो पुरुषों में वीर्य की दुर्बलता दूर होती है।
बबूल के पेड़ से प्राप्त गोंद को पेप्टिक अल्सर ठीक करने के लिए भी अचूक माना जाता है। बबूल गोंद का चूरा (20 ग्राम) लगभग 100 मिली दूध में डालकर 5 मिनट तक कम आँच पर गर्म किया जाए और फिर 15 ग्राम तुलसी पत्तियों को इसमें डालकर बर्तन को ढांक दिया जाए। जब यह दूध ठंडा हो जाए तो इसे रोगी को देने से शीघ्र आराम मिलने लगता है। पातालकोट के आदिवासी मानते है कि गुड़ुची के तने और बबूल की फल्लियों के चूर्ण की समान मात्रा सुबह-शाम मंजन की तरह उपयोग में लायी जाए तो दांतों को ठंड या झुनझुनी लगना बंद हो जाती है।
बबूल के पेड़ से प्राप्त गोंद को पेप्टिक अल्सर ठीक करने के लिए भी अचूक माना जाता है। बबूल गोंद का चूरा (20 ग्राम) लगभग 100 मिली दूध में डालकर 5 मिनट तक कम आँच पर गर्म किया जाए और फिर 15 ग्राम तुलसी पत्तियों को इसमें डालकर बर्तन को ढांक दिया जाए। जब यह दूध ठंडा हो जाए तो इसे रोगी को देने से शीघ्र आराम मिलने लगता है। पातालकोट के आदिवासी मानते है कि गुड़ुची के तने और बबूल की फल्लियों के चूर्ण की समान मात्रा सुबह-शाम मंजन की तरह उपयोग में लायी जाए तो दांतों को ठंड या झुनझुनी लगना बंद हो जाती है।
Feedback job publisher: Navneet | job publish date : 00:33
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